हॉलीवुड डायरेक्टर को ‘न’ कह देने वाले अमरीश पुरी क्यों थे इतने खास?


Flashback Friday: ‘अशरफ अली….’ ये कहकर चिल्लाते सनी देओल ने ‘गदर’ में समां बांध दिया था. अचानक से पीछे से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाती भीड़ शांत हो जाती हैं. बैकग्राउंड में चलने वाला म्यूजिक भी बंद हो जाता है. सिर्फ हवा की सरसराहट की आवाज आती है. और एक गूजबंप देने वाला दृश्य उभरता है. सच बताइए ये पूरा सीन सिर्फ सनी देओल की वजह से इतना बेहतरीन बन पड़ा था? नहीं, इसकी एक बड़ी वजह थे वो कर्कश और भारी आवाज के साथ शुद्ध विलेन के गजब के एक्सप्रेशन वाले सामने खड़े अशरफ अली के किरदार में अमरीश पुरी. अगर वो इस कदर तारा सिंह को परेशान नहीं करते, तो तारा सिंह इतना बड़ा हीरो नहीं बन पाता.

सही मायने में अमरीश पुरी ने जिन फिल्मों में काम किया उसके हीरो उतने ही बड़े हो गए. कभी वो ‘आज का अर्जुन’ में ठाकुर बनकर इतने जुल्म ढाते दिखे कि अमिताभ बच्चन को विद्रोह करना पड़ा, तो कभी ‘करन अर्जुन’ में ठाकुर दुर्जन सिंह बनकर इतना सताया कि शाहरुख और सलमान के किरदारों को अपना बदला लेने के लिए दूसरा जन्म लेना पड़ा. अमरीश पुरी पर बहुत सी बातें और किस्से आपने सुने होंगे, लेकिन जो आज हम बताने जा रहे हैं वो उन किस्सों से एकदम अलग है. किस्सा ये है कि दुनिया के सबसे बड़े डायरेक्टर्स में से एक जिन्होंने ‘जुरासिक पार्क’ और ‘शिंडलर्स लिस्ट’ जैसी फिल्में बनाई हैं उनका यानी स्टीवेन स्पीलबर्ग का. जिसके साथ काम करना किसी भी बड़े हॉलीवुड एक्टर का सपना रहता है, एक बार उसके ऊपर भी हमारे ‘मोगैंबो’ का गुस्सा भड़क चुका है. जानते हैं वो किस्सा….

कहानी क्या है?
असल में स्टीवेन स्पीलबर्ग ‘इंडियाना जोन्स द टेंपल ऑफ डूम’ बनाने की तैयारी में थे. उन्हें अपनी फिल्म के लिए एक खतरनाक विलेन की जरूरत थी. कास्टिंग डायरेक्टर डॉली ठाकोर उनकी इस खोज में मदद के लिए आगे आए और उन्होंने 1980 की फिल्म ‘गहराई’ में अमरीश पुरी के निभाए गए रोल की फोटो स्पीलबर्ग को भेज दीं. स्पीलबर्ग इतने प्रभावित हुए कि वो अपनी फिल्म में सिर्फ अमरीश पुरी को ही विलेन के तौर पर इमैजिन कर पा रहे थे. लिहाजा उन्होंने कास्टिंग डायरेक्टर को इंडिया भेज दिया, ताकि वो अमरीश पुरी से जाकर रोल के लिए बात करें. अमरीश पुरी की आत्मकथा के मुताबिक, उन्होंने ऑडिशन देने से ही मना कर दिया. उन्होंने कहा कि स्पीलबर्ग सेट पर आएं और उन्हें एक्ट करते हुए देखें. 

आगे का किस्सा और दिलचस्प बन पड़ा
शायद ही किसी ने ऐसा सोचा रहा होगा कि खुद स्पीलबर्ग इंडिया आकर अमरीश पुरी से बात करेंगे. लेकिन हुआ वही जो अमरीश पुरी चाहते थे. स्पीलबर्ग अमरीश पुरी से इतने प्रभावित थे कि वो उनकी बात मानकर इंडिया आ गए. जब अमरीश पुरी से बोला गया कि वो डायरेक्टर के सामने इंग्लिश में डायलॉग बोलें, तो उन्होंने साफ मना कर दिया. उनका तर्क था, ”स्पीलबर्ग को कैसे पता कि मैं कौन सी भाषा बोलता हूं. वो तो मुझे सिर्फ एक एक्टर के तौर पर जानते होंगे.”

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स्पीलबर्ग अमरीश पुरी से और ज्यादा प्रभावित कब हुए?
इंडिया आने से पहले अमरीश पुरी का जो प्रभाव स्पीलबर्ग के ऊपर रहा, वो तो रहा ही. कमाल की बात ये है कि उनके इंडिया आने के बाद जब स्पीलबर्ग को पता चला कि अमरीश पुरी एक ही समय में 22 फिल्में कर रहे हैं, तो वो बहुत ज्यादा प्रभावित हो गए. अमरीश पुरी के बेटे राजीव पुरी ने ईटाइम्स को बताया था, ”मुझे बताया गया है कि सिर्फ वो एकमात्र मौका था जब खुद स्पीलबर्ग किसी एक्टर के ऑडिशन के लिए इंडिया आए थे. ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि वो पापा से मिलना चाहते थे. वो उनसे मिले और यहीं पर आकर फिल्म भी साइन कराई.” 

राजीव पुरी ने ये भी खुलासा किया था कि पापा का बिना बालों का लुक देखकर स्पीलबर्ग ने कहा था कि ये लुक उन्हें पसंद आया है और वो बाल न उगाएं. हम यही लुक फिल्म में रखेंगे और हुआ भी वैसा.’ इंडियान जोन्स..’ में अमरीश पुरी सीना फाड़कर दिल निकाल लेने वाले विलेन मोलाराम के किरदार में पूरी तरह से गंजे दिखे. 

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स्पीलबर्ग मुरीद हो गए थे अमरीश पुरी के
वेबसाइट द हॉलीवुड रिपोर्टर के मुताबिक, 1984 में आई इस फिल्म ने दुनियाभर में 331 मिलियन डॉलर्स की कमाई की थी. स्पीलबर्ग ने कई मौकों पर इंटरव्यू के दौरान सार्वजनिक तौर पर ये बोला था, ”अमरीश पुरी मेरे फेवरेट विलेन हैं. वो इतने बेहतरीन हैं कि ऐसा विलेन न कभी हुआ है और न ही शायद कभी होगा.”

स्पीलबर्ग का लिखा नोट दिवंगत अभिनेता पुरी की फैमिली के पास अब भी है. जिसमें लिखा है, ”एक खतरनाक विलेन के तौर पर आप जैसा कोई नहीं है. आप अद्वितीय हैं और शानदार इंसान भी. मैंने साथ में जितना भी काम किया उसका हर एक मिनट मुझे पसंद आया. मैं आपके साथ दोबारा फिर से काम करना चाहूंगा.”

लेकिन वो सच जो सताता है
जिंदगी के सबसे कड़वे सच का सामना इस महाविलेन को भी करना पड़ा. 12 जनवरी 2005 को सब कुछ ठप सा हो गया, जब पता चला अमरीश पुरी नहीं रहे. ऐसा नहीं है कि अमरीश पुरी सिर्फ एक शानदार विलेन ही थे. वो एक शानदार कॉमेडियन (चाची 420, मुझे कुछ कहना है, हलचल) होने के साथ-साथ ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के सिमरन के पापा के तौर पर भी उतने ही बेहतरीन लगे. आखिर में सबसे जरूरी बात ये कि अमरीश पुरी पर्दे में जैसे दिखते थे असल में जिंदगी में उसका उल्टा थे. वो एक बेहतरीन और खूबसूरत दिल वाले इंसान थे. उनको जानने वाले आज भी उनके शानदार व्यक्तित्व के कसीदे पढ़ने से पीछे नहीं हटते.

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