कभी चलता था नाम का सिक्का फिर जब नहीं बचा जेब में सिक्का, अमिताभ बच्चन की ये कहानी किसी किवदंती से कम नहीं


Monday Motivation: आज कहानी एक धुरंधर की सकी जिंदगी को अगर किताब की तरह पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि वो ‘हंशाह’से ही नहीं कहे जाते. 81 साल की उम्र के इस अभिनेता के लिए आज भी फिल्में लिखी जाती हैं. वो आज भी फिल्मों में साइड रोल नहीं, लीड रोल में ही दिखते हैं. इतना कुछ उन्होंने बनाया है, लेकिन उनकी जिंदगी में एक ऐसा दौर भी आया जब उनके हाथ से नेम, फेम, पैसा सब कुछ बालू की तरह फिसलता चला गया.

लेकिन वो टूटे नहीं. उन्होंने मन में एक बात बिठा रखी थी कि मंजिल से ज्यादा जरूरी रास्ते होते हैं. और वो रास्ते कभी सपाट तो कभी ऊबड़-खाबड़ भी हो सकते हैं. वो बस अपना काम करते गए चलते गए और बस चलते गए. ये कहानी किसी फिल्मी हीरो की नहीं, बल्कि फिल्मों में हीरो का रोल निभाने वाले दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन की है.

वो दौर जब चलता था नाम का सिक्का
अमिताभ के स्ट्रगल के दिन काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे. उन्हें अपनी पहली हिट फिल्म ‘जंजीर’ तक पहुंचने के लिए कई साल और कई फ्लॉप्स से गुजरना पड़ा. लेकिन जब उन्हें उनके काम से पहचाना जाने लगा तो वो हिट मशीन बन गए. इमरजेंसी के दौर में अमिताभ आम आदमी के अंदर पल रहे गुस्से को पर्दे में उतारने में सफल रहे. वो दौर उन्हें एंग्री यंगमैन का तमगा दे गया. हिट्स की फेहरिस्त और एक्टिंग के जलवे ने उन्हें 70 और 80 के दशक का सबसे बड़ा अभिनेता बना गया. लेकिन दिन हमेशा एक जैसे नहीं होते. एक दौर ऐसा भी आया जब उनका न तो स्टारडम रहा और न ही पास में पैसा. असली अमिताभ की कहानी यहीं से शुरू होती है.


फिर आया वो दौर जब जेब में नहीं बचा सिक्का
90 के दशक में अमिताभ ने अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ABCL) कंपनी की शुरुआत की. कंपनी घाटे में जाने लगी और इस बिजनेस की जद्दोजहद ने उन पर 90 करोड़ का कर्ज लाद दिया. साल 1995 में जब कंपनी शुरू हुई तो पहले साल तो इसमें ग्रोथ दिखी, लेकिन धीरे-धीरे कंपनी घाटे में जाने लगी. आखिर में दौर ऐसा आ गया कि उनके पास कंपनी में काम करने वालों को देने के लिए पैसे भी नहीं बचे. ये वही दौर था जब अमिताभ के पास मृत्युदाता और लाल बादशाह जैसी फिल्में ही थीं. दर्शक अब उन्हें नकार रहे थे. एक्शन के लिए दर्शकों के पास सनी देओल, सुनील शेट्टी और अक्षय कुमार जैसे विकल्प मौजूद थे. इस तरह से अमिताभ एक्टिंग और बिजनेस दोनों में फेल माने जाने लगे.

अमिताभ पर सिर्फ कर्ज ही नहीं कोर्ट केस भी थे
इंडियन एक्सप्रेस ने वीर सांघवी के साथ एक इंटरव्यू के हवाले से लिखा है कि अमिताभ ने बताया था कि उनके ऊपर कर्ज के साथ-साथ 55 कोर्ट केस भी हो गए थे. उन्होंने बताया था, ”मेरा घर और  प्रॉपर्टी सीज कर दी गई थी. मुझे 90 करोड़ चुकाने थे. जिनसे मैंने रुपया लिया था वो हर दिन मेरे दरवाजे आते थे और ये बेहद शर्मनाक और अपमानजनक था.”

अमिताभ ने कहा था, ”जो लोग शुरुआत में मुझसे और मेरी कंपनी से जुड़ने के लिए उत्साहित थे. वो अचानक मेरे साथ असभ्य हो गए थे.’ अमिताभ ने ये भी कहा था कि उन्हें रात में नींद नहीं आती थी. 

हार नहीं मानी, रार नहीं ठानी, फिर जो हुआ वो सामने है
अमिताभ ऐसे बुरे दौर से जूझ रहे थे उसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. वो लगातार काम करते रहे. अमिताभ ने इंडिया टुडे अनफॉर्गेटेबल के मंच पर 2016 में बताया था कि उन्होंने खुद से यश चोपड़ा के पास जाकर काम मांगा था. इसके बाद ही अमिताभ का बदला हुआ रूप साल 2000 की फिल्म मोहब्बतें में दिखा. फिल्म बड़ी हिट हुई और इसके बाद अमिताभ के पास फिल्मों के ऑफर्स आने लगे. ‘कौन बनेगा करोड़पति’ भी इसी दौरान अमिताभ को ऑफर हुआ. और फिर जो हुआ वो आपने सामने है.

क्यों जरूरी है अमिताभ की इस कहानी पर गौर करना?
सोचिए अगर अमिताभ ने हार मान ली होती, तो क्या पीकू, पिंक, वजीर और बागबान जैसी कमाल की फिल्में आपको देखने को मिलतीं? शायद मिलतीं लेकिन क्या ऐसा कमाल का एक्टिंग जौहर देखने को मिलता. नहीं, क्योंकि उनमें अमिताभ ही नहीं होते. लेकिन, ऐसे बुरे दौर में भी वो काम करते रहे. सबका एक-एक रुपया वापस किया और आज सिर्फ भारत ही नहीं, वर्ल्ड सिनेमा के अच्छे एक्टर्स की लिस्ट में उनका नाम लिया जाता है. ये कहानी इसलिए गौर करने के लिए जरूरी है क्योंकि ऐसा बुरा दौर शायद आपके सामने भी आया हो. या शायद आज इस वक्त जब आप ये कहानी पढ़ रहे होंगे, तब ही आप किसी बुरी चीज से जूझ रहे हों. लेकिन, कुछ भी कितना बुरा हो, उससे निपटा जा सकता है. सिर्फ इतना याद रखिए और चलते रहिए रास्तों पर, वो चाहे सपाट हों या ऊबड़- खाबड़. बस जरूरी ये है कि हमें चलना है. सब कुछ सही हो जाता है और आपके साथ भी सब कुछ सही ही होगा.

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